उदय प्रताप स्वायत्तशासी महाविद्यालय (यू0पी0 कालेज)

उदय प्रताप स्वायत्तशासी महाविद्यालय (यू0पी0 कालेज)

उदय प्रताप स्वायत्तशासी महाविद्यालय (यू0पी0 कालेज), नगर के पश्चिमोत्तर भाग में भोजूबीर के निकट प्रदूषण मुक्त हरी-भरी विस्तृत भूमि पर स्थित हैं प्रकृति के स्वच्छन्द वातावरण में शैक्षणिक, शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह एक सर्वोत्तम संस्थान है। शिक्षा के विशेष उद्देश्य से प्रेरित होकर बहराइच (श्रावस्ती) जिले के दानवीर भिनगा नरेश राजर्षि उदय प्रताप सिंह जूदेव (1850-1913) ने इसकी नींव 1908 में हिवेट क्षत्रिया स्कूल इण्डाउमेण्ट ट्रस्ट के रूप में रखी। औदार्य, निर्भिकता और भारतीय संस्कृति के प्रति अगाध प्रेम उनके स्वाभाविक गुण थे। विद्यार्थियों का शारीरिक और मानसिक विकास एक साथ हो सके इसके लिए उन्होंने पठन-पाठन और रहन-सहन की व्यवस्था के अतिरिक्त शारीरिक शिक्षा, धार्मिक शिक्षा, नैतिक शिक्षा, आदि की ओर विशेष ध्यान दिया। सर्वप्रथम राजर्षि जी ने दो लाख रू0 में महाराज कुर्ग का पुराना निवास भवन खरीदा। जिसमें इस समय आर.एस.एम.टी. स्थित है और लगभग पचास एकड़ भूमि क्रय की, एवं हिवेट क्षत्रिया स्कूल इण्डाउमेण्ट ट्रस्ट के संचालन के लिए 10.50 लाख रू0 की एक स्थायी निधि धर्मादा संदान के कोषाध्यक्ष के पास जमा किया, और 1909 में शिक्षण कार्य प्रारम्भ करवाया। 1921 में इण्टर कक्षाओं के खुलने पर कोष की अतिरिक्त वृद्धि कर स्थायी निधि को 18.50 लाख रू0 कर दिया गया। इसी वर्ष विद्यालय का नाम हिवेट क्षत्रिया हाईस्कूल से बदलकर उदय प्रताप इण्टर मिडिएट कालेज रखा गया। इण्टर में कृषि और वाणिज्य की कक्षाऐं क्रमशः 1942 और 1945 में प्रारम्भ की गयी। जुलाई 1949 में कला और वाणिज्य की कक्षाओं के साथ उदय प्रताप डिग्री कालेज की स्थापना हुई। 1950 में विज्ञान तथा 1963 में कृषि की कक्षाओं के खुलने के साथ स्नातक स्तर की पढ़ाई की व्यवस्था पूरी कर ली गयी। जुलाई 1970 में विज्ञान और कला के कुछ विषयों में स्नातकोत्तर कक्षाऐं खोली गयी। जुलाई 1972 में कृषि में भी स्नातकोत्तर कक्षायें तथा अक्टूबर 1972 में बी.एड की कक्षायें खोली गयी। अब स्नातकोत्तर स्तर पर कला संकाय में हिन्दी, भूगोल, अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनिति शास्त्र, प्राचीन इतिहार, वाणिज्य व विज्ञान संकाय में सभी विषयों और कृषि संकाय में कृषि अर्थशास्त्र पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान, उद्यान विज्ञान कृषि रसायन एवं मृदा विज्ञान की शिक्षा दी जाती है। रोजगारपरक शिक्षा प्रदान करने के उद्देश्य से महाविद्यालय में स्नातकोत्तर स्तर पर कम्प्यूटर एवं पर्यावरण विज्ञान में डिप्लोमा पाठ्यक्रमों - पी.जी.डी.सी.ए. तथा पी.जी.डी.ई.एस के शिक्षण की व्यवस्था है। कालेज 1949 से 1960 तक काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से सम्बद्ध था। 1960 में गोरखपुर विश्वविद्यालय से तथा 1988 में वीर बहादुर सिंह पूर्वाचल विश्वविद्यालय से सम्बद्ध हुआ। सत्र 2009-2010 से महाविद्यालय की सम्बद्धता महात्मा गाधी काशी विद्यापीठ से हो गयी है। सत्र 1991-1992 से यह महाविद्यालय विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यू0जी0सी0) द्वारा स्वायत्तशासी घोषित कर दिया गया तथा यू.जी.सी. (नैक) द्वारा ठ श्रेणी प्रदत्त है। संचालित अन्य संस्थाएॅ- उदय प्रताप पब्लिक स्कूल, रानी मुरार कुमारी बालिका इण्टर कालेज, उदय प्रताप इण्टर कालेज तथा राजर्षि स्कूल आफ मैनेजमेण्ट एण्ड टेक्नोलाजी है।